लखनऊ, 2 मई 2025 (DNTV) – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा विभागों की समीक्षा बैठक की। उन्होंने प्रदेश की युवा शक्ति को तकनीकी रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा को उद्योगों से गहराई से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा केवल प्रमाणपत्र प्राप्ति तक सीमित न होकर एक व्यावहारिक, कौशलयुक्त और उपयोगी प्रणाली होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि सभी तकनीकी संस्थानों में गुणवत्तापरक प्रयोगशालाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए और छात्रों को अनिवार्य रूप से औद्योगिक इंटर्नशिप का अवसर मिले। उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा में नवाचारों का समावेश और व्यावहारिक प्रशिक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
तकनीकी शिक्षा में उल्लेखनीय सुधार
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले आठ वर्षों में तकनीकी शिक्षा को अधिक सुलभ, गुणवत्तापरक, नवाचारपरक और परिणामोन्मुखी बनाने के लिए राज्य सरकार ने कई ठोस पहल की हैं, जिनके उत्साहजनक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने सभी प्राविधिक संस्थानों को नैक (NAAC), एनबीए (NBA) और एनआईआरएफ (NIRF) मूल्यांकन में भाग लेने के निर्देश दिए, लेकिन इसके लिए पहले व्यापक तैयारी करने को कहा।
राज्य संस्थागत रैंकिंग रूपरेखा (SIRF) के तहत राजकीय और अनुदानित पॉलीटेक्निक संस्थानों की रैंकिंग प्रणाली में निजी संस्थानों को भी सम्मिलित करने का सुझाव दिया गया, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता का समान मानक तय हो सके।
शिक्षण संस्थानों का विकास और रोजगार के अवसर
बैठक में जानकारी दी गई कि डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ में वर्ष 2024-25 में 1.64 लाख छात्रों ने नामांकन लिया है। विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप पाठ्यक्रमों का पुनर्गठन किया गया है। वहीं, सत्र 2023-24 में 12,739 छात्रों को रोजगार मिला और अधिकतम वार्षिक वेतन 59.91 लाख रुपये रहा। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर के छात्रों को भी 52 लाख रुपये वार्षिक पैकेज तक के प्लेसमेंट मिले।
मुख्यमंत्री ने नवस्थापित इंजीनियरिंग कॉलेज – बस्ती, गोण्डा, मीरजापुर और प्रतापगढ़ – के निर्माण कार्यों को समयबद्ध ढंग से पूरा करने के निर्देश दिए ताकि आगामी सत्र से ये कॉलेज अपने निजी परिसरों से संचालन कर सकें।
आईटीआई और पॉलीटेक्निक संस्थानों में बदलाव
प्रदेश में वर्तमान में 2,139 पॉलीटेक्निक संस्थान संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 147 राजकीय, 18 पीपीपी मोड, 19 अनुदानित और 1,948 निजी संस्थान हैं। इनमें कुल 2.68 लाख से अधिक सीटें उपलब्ध हैं। डिजिटल कक्षाएं, बायोमैट्रिक उपस्थिति और फ्रंटियर टेक्नोलॉजी जैसे ड्रोन, साइबर सिक्योरिटी, डेटा साइंस और मशीन लर्निंग को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
वहीं, प्रदेश में 324 राजकीय और 2,982 निजी आईटीआई संचालित हैं। टाटा टेक्नोलॉजीज के सहयोग से 212 आईटीआई को आधुनिक प्रयोगशालाओं और प्रशिक्षकों से सुसज्जित किया गया है। वर्ष 2024-25 में 1.25 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को अप्रेंटिसशिप और रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं।
सीएसआर और इंटर्नशिप से बढ़ रहा स्थानीय रोजगार
सीएसआर फंड के माध्यम से 37 जिलों में आधुनिक कौशल प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। मासिक प्लेसमेंट डे के आयोजन से स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार मिल रहा है। एनपीएस और सीएमएपीएस योजनाओं के तहत पिछले 5 वर्षों में 2.67 लाख से अधिक अप्रेंटिस नियुक्त किए गए हैं।
‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर उत्तर प्रदेश
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा को उद्योगों से जोड़ने की प्रक्रिया को तेज किया जाए और प्रत्येक युवा को उसके कौशल के अनुरूप अवसर दिए जाएं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में दूरदर्शी और सुदृढ़ नीति के साथ आगे बढ़ रहा है, जिससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ की संकल्पना को साकार किया जा सके।
क्या आप इस खबर के लिए एक सोशल मीडिया पोस्ट या थंबनेल इमेज भी चाहेंगे?